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रासायनिक खाद

जमीन की संजीवनी है मल्चर मशीन

जमीन की संजीवनी है मल्चर मशीन

जमीन की उपज क्षमता लगातार घट रही है। रासायनिक खाद,कीटनाशक और खरपतवारनाशी दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से जमीन की भौतिक संरचना के साथ खाद्यान्न की गुणवत्ता भी गिरी है। कार्बनिक तत्वों की कमी को पूरा करने और जमीन को संजीवनी देने का काम अब मल्चर मशीन करने लगी है। 

 यह कृषि यंत्र ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेतों में चलाया जाता है। ये खास यंत्र बाग- बगीचों और धान पलवार, घास और झाड़ियों को काटने के लिए एक तरह का बेहद ही सरल और विश्वसनीय उपकरण है। इस यंत्र की सबसे खास बात यह है कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखने में मदद करता है। यह विशेष प्रकार का कतरनी यंत्र है जो कि 50 हॉर्स पावर के डबल क्लच वाले ट्रैक्टर के पीछे लगाकर चलाया जाता है। यह फसलों के अवशेषों को बरीकी से काटकर खेत में बिछा देता है। भूसा नुमा यह कतरन मिट्टी में मिल जाती हैं। पानी आदि लगने के बाद गलकर यह जैविक खाद का रूप लेकर जमीन और फसल दोनों को लाभ पहुंचाती हैं। 

 मल्चर धान की पराली का कंपोस्ट बनाने के लिए सबसे उपयुक्त मशीन है। इससे धान का खेत समय से तैयार होकर उसमें गेहूं की बिजाई हो सकती है। यह हरा चारा काटने, केले की फसल को काटने, सब्जियों के अवशेषों को छोटे टुकड़ों में काटने के अलावा ऊंची घास व छोटी झाड़ियों को काटने में भी इस्तेमाल किया जाता है।

 यह बरीक काटने में काफी ज्यादा सक्षम होता है। कटाई के लिए बेहद ही ज्यादा कार्यशाली चैंबर भी माना जाता है। यह गन्ने की कटाई में भी उपयोगी है। यह जड़ समेत ही खरपतवार को बुरादा बना देती है। इस मशीन के प्रयोग से फसल अवशेष जलाने की जरूरत नहीं रहती।

जैविक खाद का करें उपयोग और बढ़ाएं फसल की पैदावार, यहां के किसान ले रहे भरपूर लाभ

जैविक खाद का करें उपयोग और बढ़ाएं फसल की पैदावार, यहां के किसान ले रहे भरपूर लाभ

किसानों ने माना खेत की मिट्टी हो रही मुलायम, बुआई और रोपाई में कम लग रही मेहनत

रायपुर। भारत सहित पूरे विश्व में जब भी खेती-किसानी की बात आती है, तो उसके साथ खाद का उपयोग भी एक बड़ी चुनौती या यूं कहें कि हर साल एक समस्या के रूप में उभरकर सामने आती है। वहीं फसल की बुआई से पहले किसानों को खाद की चिंता सताने लगती है। हर साल खाद की कालाबाजारी के भी मामले देशभर में सामने आते रहते हैं। दूसरी ओर किसान भी यह आरोप लगाते हैं कि उन्हें खाद की उचित मात्रा में आपूर्ति नहीं की जाती, जिस कारण सोसायटियों में हमेशा खाद की किल्लत बनी रहती है। ऐसे में हर साल एक बड़ा रकबा खाद की कमी से कम पैदावार कर पाता है। वहीं अब इस समस्या को दूर करने के लिए कई राज्य जैविक खाद को अपनाने लगे हैं। ऐसे में
छत्तीसगढ़ के किसान जैविक खाद का भरपूर फायदा उठा रहे हैं और फसल की पैदावार बढ़ा कर अपने को और स्वाबलंबी बना रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने भी माना है कि जैविक खाद का उपयोग करने से खेत की मिट्टी मुलायम हो रही है। इस खरीफ सीजन में खेत की जुताई और धान की रोपाई में किसानों को काफी आसानी हुई है।

छत्तीसगढ़ मेें जैविक खाद लेना अनिवार्य किया

जहां एक ओर कीटनाशक के प्रयोग से फसल जहरीली हो रही है और भूमि की उर्वरा शक्ति भी कमजोर हो रही है, ऐसे में छत्तसीगढ़ सरकार जैविक खाद का उपयोग करने किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार का मानना है जैविक खाद के प्रयोग से जहां जमीन की उर्वरा शक्ति तो बढ़ेगी ही, दूसरी ओर रासायनिक खाद का उपयोग कम होने से इसकी कालाबाजारी कम होगी और हर साल किसानों को होने वाली खाद की किल्लत से किसानों को छुटकारा मिल जाएगा। इसी के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को जैविक खाद लेना अनिवार्य कर दिया है।


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जैविक खाद के फायदे

छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जैविक खाद का उपयोग हर मामले में किसानों के लिए लाभदायक साबित होगा। इससे किसानों को घंटों सोसायटियों में खाद के लाइन लगाने से जहां छुटकारा मिलेगा और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाने में मदद मिलेगी। वहीं जैविक खाद के उपयोग कें कई फायदे भी हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मिट्टी की भौतिक व रसायनिक स्थिति में सुधार होता है व उर्वरक क्षमता बढ़ती है। वहीं रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी में जो सूक्ष्म जीव होते हैं उनकी संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है, जिस कारण हर साल किसानों को फसल का नुकसान होता है। जैविक खाद के उपयोग से उन सूक्ष्म जीवों की गतिविधि में वृद्धि होती है और वे फसल की पैदावार बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीें जैविक खाद का उपयोग मिट्टी की संरचना में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अपना सकती है, जिससे पौधे की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है। वहीं इसके उपयोग से मृदा अपरदन कम होता है। मिट्टी में तापमान व नमी बनी रहती है।

जैविक खाद के उपयोग से मुलायम हो रही मिट्टी



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वहीं वर्तमान में खरीफ फसल की बुआई के समय छत्तीसगढ़ के किसानों ने भी माना है कि जैविक खाद का उपयोग करने से उनकी जमीन कह मिट्टी मुलायम हुई है। इस कारण इस साल उन्हें जुताई और रोपाई करने में काफी मदद मिली। फसल लगाने में हर बार उन्हें जो महनत करनी पड़ती थी वह इस बार काफी कम हुई, जिससे उनके समय और पैसे दोनों की बचत हुई है।

गौठानों में बनाई जा रही कंपोस्ट खाद

छत्तीसगढ़ में धान की खेती व्यापक रुप से की जाती है। यही कारण है कि इसे धान का कटोरा कहा जाता है। जब खेती व्यापक होगी तो खाद की जरूरत ज्यादा होगी। ऐसे में छत्तीसगढ़ में जैविक खाद की आपूर्ति करने में गौठान एक महत्वपूर्ण भूका निभा रहे हैं।


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छत्तीसगढ़ सरकार ने गांव-गांव में पशुओं का रखने के लिए गौठान बनाने योजना शुरू की थी, जिसके तहत प्रदेश के लाखों पशुओं को एक ठिकाना मिला। वहीं दूसरी गौठानों में अजीविका के कई कार्य भी शुरु किए गए, जिसमें कंपोस्ट खाद निर्माण में इन गौठानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और किसानों को खाद की किल्लत से राहत पहुंचाई।

ऐसे में बनाई जाती है जैविक खाद

जैविक खाद बनाना काफी आसान है। यही कारण है कि आज किसान जैविक खाद खेत या अपने घर पर ही तैयार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में गौठानों में इस खाद को तैयार किया जाता है। इसको बनाने के लिए सरकार ने हर गौठान में एक टैंक बनवाया है। इसमें गोबर डालकर इसमें गोमूत्र मिलाया जाता है। इसके साथ ही इसमें सब्जियों का उपयोग भी कर सकते हैं। कही-कही इसमें गुड़ का उपयोग भी किया जा राह है। इसके बाद इसमें पिसी हुई दालों व लकड़ी का बुरादा डाल दें। आखिर में इस मिश्रण को मिट्टी में साना जाता है।


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यह जरूरी है कि खाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थों की मात्रा सही हो। जैविक खाद बनाने के लिए 10 किलो गोबर,10 लीटर गोमूत्र, एक किलो गुड, एक किलो चोकर एक किलो मिट्टी का मिश्रण तैयार करें। इन पांच तत्वों को अच्छी से मिला लें। मिश्रण में करीब दो लीटर पानी डाल दें। अब इसे 20 से २५ दिन तक ढंक कर रखें। अच्छी खाद पाने के लिए इस घोल को प्रतिदिन एक बार अवश्य मिलाएं। 20 से २५ दिन बाद ये खाद बन कर तैयार हो जाएगी। यह खाद सूक्ष्म जीवाणु से भरपूर रहेगी खेत की मिट्टी की सेहत के लिये अच्छी रहेगी।
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जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार अलग अलग तरह से किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। केंद्र व राज्य सरकार अलग अलग योजनाओं के तहत किसानों को भिन्न-भिन्न प्रकार की सहूलियत व सब्सिडी देकर जैविक खेती को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरह का प्रोत्साहन किसानों को दिया जा रहा है। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने बड़े स्तर पर किसानों को जैविक खेती से जोड़ने के लिए तीन किसानों को सर्वश्रेष्ठ अवार्ड देने का ऐलान भी किया गया है।

किस तरीके के किसान होंगे इस योजना के लिए पात्र

राजस्थान कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ गुण राम मटोरिया बताते हैं, कि किसान, जो पांच वर्षों से कृषि उद्यानिकी फसलों में जैविक तरीके से उत्पादन कर रहे हो तथा पिछले दो वर्षों से उनके जैविक उत्पादों का प्रमाणीकरण हो रहा हो। वैसे किसान इस योजना के लिए पात्र होंगे या उनको इस योजना के पात्रता में वरीयता दी जाएगी। इतना ही नहीं है, इसके पात्रता के लिए मटोरिया बताते हैं, कि जिन किसानों के खेत में जैविक खेती के लिए वर्मी कम्पोस्ट इकाई हो या स्वयं के द्वारा तैयार किए गए जैव कीटनाशक, जैव उर्वरक का उपयोग कर फसल उगाते हों। इसके अलावा जो भी किसान जैविक खेती संबंधी कोई नया प्रयोग करता हो या फिर राजकीय संस्थान से प्रमाणित हो वह किसान भी इस अवार्ड के लिए पात्र माने जाएंगे।


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कितने किसानों का होगा चयन

गौरतलब है, कि इस अवॉर्ड के लिए इच्छुक किसान 10 दिसंबर तक आवेदन कर पाएंगे। उनके आवेदन के बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम गठित की जाएगी जो जिले स्तर पर मिलने वाले आवेदन को देख कर एक किसान का चयन करेंगे। अलग अलग जिलों से इस अवॉर्ड के लिए तीन किसानों का चयन किया जाएगा। चयनित किसानों को एक-एक लाख का नकद इनाम भी दिया जाएगा।

जैविक खेती से है कई फायदे

राज्य व केंद्र सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नए-नए तकनीक ले कर आ रही है, जिससे किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि किसानों के द्वारा लगातार रासायनिक खाद का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति कम हो जाती है। जिससे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रासायनिक खाद के प्रयोग से उगाई गयी सब्जी व फल खाने के बाद लोगों को कई बीमारी से भी गुजरना पड़ रहा है। इसलिए केंद्र व राज्य सरकार किसान व आम लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए जैविक खेती पर काफी जोर दे रही है और इस प्रकार के कई प्रोत्साहन भी किसानों को दे रही है। जिससे किसान का जैविक खेती की तरफ रुझान बढ़ सके।